BSE vs NSE: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) भारत का पहला और सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है, जिसकी स्थापना 1875 में हुई थी। यह भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत का प्रतीक है और भारत की आर्थिक प्रगति में इसका बड़ा योगदान रहा है। लेकिन 1992 में हर्षद मेहता घोटाले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया।
इस घोटाले ने यह दिखाया कि BSE में पारदर्शिता की कमी है और इसका नियंत्रण कुछ लोगों के हाथों में है। इस स्थिति को सुधारने के लिए, तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने एक नई, आधुनिक, और पारदर्शी स्टॉक एक्सचेंज बनाने का फैसला किया। इसी के परिणामस्वरूप, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना 1992 में की गई।
BSE vs NSE: क्यों बनाई गई एक नई स्टॉक एक्सचेंज?
NSE की विशेषताएं
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने बहुत कम समय में शेयर बाजार की दुनिया में एक खास जगह बना ली। इसकी कुछ खासियतें हैं:
- पूरी तरह डिजिटल:
NSE देश का पहला 100% डिजिटल और डीमेट (Demat) स्टॉक एक्सचेंज है। यहां हर लेन-देन ऑनलाइन होता है, जिससे शेयर खरीदने और बेचने की प्रक्रिया तेज और सुरक्षित हो गई है। - सख्त नियम:
NSE पर लिस्ट होने के लिए कंपनियों को सख्त नियमों का पालन करना होता है। यही कारण है कि यहां सिर्फ भरोसेमंद और मजबूत कंपनियां ही लिस्ट होती हैं। - पारदर्शिता:
NSE की कार्यप्रणाली पूरी तरह पारदर्शी है, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। - मुख्य इंडेक्स (NIFTY 50):
NSE का प्रमुख इंडेक्स NIFTY 50 है, जिसमें 50 प्रमुख कंपनियों को शामिल किया गया है। यह इंडेक्स बाजार का सही हाल दिखाने में मदद करता है। - बाजार मूल्य और कंपनियां:
- कुल कंपनियां: 1952
- बाजार मूल्य: US$ 2.27 ट्रिलियन (मार्च 2018)
- कुल लेन-देन: US$ 400 बिलियन
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BSE: पुराना लेकिन धीमा
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), हालांकि पुराना और प्रतिष्ठित है, लेकिन इसकी कई कमियां हैं:
- लिस्टिंग प्रक्रिया आसान:
BSE पर कंपनियों को लिस्ट करना आसान है। इसलिए कई छोटी और कमजोर कंपनियां यहां लिस्ट हो जाती हैं। - कम पारदर्शिता:
BSE की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है, जिससे निवेशकों को धोखाधड़ी का खतरा रहता है। - मुख्य इंडेक्स (SENSEX):
BSE का प्रमुख इंडेक्स SENSEX है, जिसमें सिर्फ 30 कंपनियां शामिल हैं। यह NSE के NIFTY 50 की तुलना में कम व्यापक है। - बाजार मूल्य और कंपनियां:
- कुल कंपनियां: 5439
- बाजार मूल्य: US$ 2.1 ट्रिलियन (मार्च 2019)
BSE और NSE की तुलना
विशेषता | NSE | BSE |
---|---|---|
स्थापना वर्ष | 1992 | 1875 |
डिजिटल लेन-देन | 100% | आंशिक |
मुख्य इंडेक्स | NIFTY 50 (50 कंपनियां) | SENSEX (30 कंपनियां) |
कुल कंपनियां | 1952 | 5439 |
बाजार मूल्य | US$ 2.27 ट्रिलियन (2018) | US$ 2.1 ट्रिलियन (2019) |
लिस्टिंग प्रक्रिया | सख्त और पारदर्शी | आसान और ढीली |
NSE की सफलता का कारण
NSE ने शुरुआत से ही आधुनिक तकनीक, पारदर्शी प्रक्रिया और सख्त नियमों पर जोर दिया। इसका फायदा यह हुआ कि निवेशकों का भरोसा NSE पर बढ़ा और इसने जल्द ही BSE को पीछे छोड़ दिया।
निष्कर्ष (BSE vs NSE)
BSE भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है, लेकिन NSE ने आधुनिक तकनीक और पारदर्शी प्रक्रियाओं की वजह से निवेशकों के बीच अपनी खास जगह बना ली है। NSE को अपनी गुणवत्ता बनाए रखनी होगी, जबकि BSE को अपने नियम और प्रक्रिया में सुधार करना होगा। भारत का शेयर बाजार अब दोनों एक्सचेंज के सहारे तेज़ी से प्रगति कर रहा है।
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